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किस्मत के खेल भी निराले हैं, सिखता ही नहीं है चोट खाकर. अपनी मोहब्बत मांग रहे हैं वो, जख्म करता भी क्या दिखा कर. ये कब कहा कि मैं दूर हूं तुमसे, पर देखना हैं अब तुम्हें भुला कर Wonderful, Thank you so much... |
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