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score: 9.30162
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on: Jan 13, 2021
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फिर एक दफा इस दिल को दुखाते जाओ
हमें छोड़ जाने का जश्न तो मनाते जाओ !!
हम तुम्हारे लिए कुछ थे भी के नहीं
जा रहे हो तो महज इतना तो बताते जाओ !!
तुम्हारी कसम हम न रोकेंगे तुम्हे पर
आखरी बार तो देख के मुस्कुराते जाओ !!
कहो कैसे भूल जाएं तुमको यूं ही हम
ये हुनर भी तुम ही सिखाते जाओ !!
कुछ कहेंगे ना किसी को कहने देंगे
भीगी नजरों से नजरों को मिलाते जाओ !!
खामोशी के बोझ से कहीं मर ही ना जाए
जाते जाते एक मर्तबा तो रुलाते जाओ !!
हमारा क्या रंगीन रूत है तुम्हारे लिए
हाथों में रंग लो और उड़ाते जाओ !!
तुमने क्या क्या ख्वाब दिखाए थे मुझे
आओ आ कर इन्हें तो दफनाते जाओ !!
तुम्हारे बाद तो हम तरस ही जाएंगे जाना
कुछ और दर्द हो तो हम पर लुटाते जाओ !!
मोहब्बत तुम्हारा हकीकत या भरम था
इस सच से जरा पर्दा तो उठाते जाओ !!
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on: Dec 10, 2020
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गुंजाइश तो रहती है
फिर भी हर ख़्वाईश पूरी नही होती।
तमन्नाओं के बाज़ार में
हर ख़्वाब की नुमाईश नही होती।
तुम इश्क़ की बात कर रहे हों या किसी खेल की
एक फौजी से पूछो उसके इश्क़ की फ़ना...
एक कफ़न से पूछो उसके बीते कल की फ़ना....
मौत के रास्ते में खड़ी उस जिंदगी से पूछो उसके जीने की फ़ना....
बिदाई के समय माँ बाप से पूछो उनकी बेटी की फ़ना....
एक दोस्त से पूछो दोस्त से बिछड़ने की फ़ना...
यह इश्क़ है जनाब जो किसी भी रूप में दिखता है.....
जैसे एक दोस्ती और सच्ची दोस्ती में फर्क दिखता है.
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on: Dec 9, 2020
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Blatantly True!!!!
आसान नहीं होता प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करना,
क्योंकि उसे पसंद नहीं होती जी हुजूरी,
झुकती नहीं वो कभी
जबतक न हो
रिश्तों में प्रेम की भावना।
तुम्हारी हर हाँ में हाँ और न में न कहना वो नहीं जानती,
क्योंकि उसने सीखा ही नहीं झूठ की डोर में रिश्तों को बाँधना।
वो नहीं जानती स्वांग की चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना,
वो तो जानती है बेबाक़ी से सच बोल जाना।
फ़िज़ूल की बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार नहीं,
लेकिन वो जानती है तर्क के साथ अपनी बात रखना।
वो क्षण-क्षण गहने- कपड़ों की माँग नहीं किया करती,
वो तो सँवारती है स्वयं को अपने आत्मविश्वास से,
निखारती है अपना व्यक्तित्व मासूमियत भरी मुस्कान से।
तुम्हारी गलतियों पर तुम्हें टोकती है,
तो तकलीफ़ में तुम्हें सँभालती भी है।
उसे घर सँभालना बख़ूबी आता है,
तो अपने सपनों को पूरा करना भी।
अगर नहीं आता तो किसी की अनर्गल बातों को मान लेना।
पौरुष के आगे वो नतमस्तक नहीं होती,
झुकती है तो तुम्हारे निःस्वार्थ प्रेम के आगे।
और इस प्रेम की ख़ातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है।
हौसला हो निभाने का तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना,
क्योंकि टूट जाती है वो धोखे से, छलावे से,
फिर जुड़ नहीं पाती किसी प्रेम की ख़ातिर...!!!
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on: Oct 8, 2020
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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया!
सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं –
“सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है,
मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ।
आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा।
आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”..
बेचारे पापा क्या करते।
आदेश के पाबंद… तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए।
सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी।
पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -” आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।”
पापा ने बेटी की तरफ देखा, और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए।
“मैम बहुत गुस्से में लगती हैं” – बेटी ने धीरे से कहा। “तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है” – उसी तरह पापा भी धीरे से बोले। “पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं। “-बेटी ने अपना बचाव किया। “मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।” – पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।
वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं – “हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।
पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम- देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए। और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
… मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..
मैम- पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।
… पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी.. फिर मुस्कुरा कर बोले…
पापा – अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस अम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।
… इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था…
मैम- अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है। क्यों?
… पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों…
पापा – हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हींदी बोलने वाला नहीं होगा…
…..पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं…
मैम – अच्छा… तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो….
इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..
पापा – और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता… मै तो….
मैम चिढ़ते हुए बोली – “आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये…” फेल नहीं”…
अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?
…. पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले – “ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।
… मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था… वो कापियां समेटते हुए बोली-” सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।”
… पापा चुपचाप थे…
मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई – “ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।
पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले…
पापा – वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।
मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पापा – फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।
मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।
…. गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था…. 100%…..
मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।
पापा – हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा – और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- “मै”
:
पापा – और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:
मैम- वो भी “मैं”
:
पापा – अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए…
पापा – “मैं”…
:
मैम – (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं-“””मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं”””!!!
😉😋😊😜😀🤓😛😆😄😍😅
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on: Oct 7, 2020
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एक शहर है तुम्हारे अंदर .........
सुना है आजकल वहां रहते नहीं हो
बहुत कुछ है दिल और दिमाग के दरमियाँ..
दूसरों की तो छोड़ो..
वह खुद से भी कहते नहीं हो..
एक शहर है तुम्हारे अंदर…
कुछ लोगों के लिए जहाँ तुमने..
उस शहर का हर दरवाज़ा खोल दिया था..
जब शहर में हिस्सा माँगा उन्होंने ..
तुमने हर हिस्सा बिन मोल दिया था…
पर फिर…
तुम्हारी उम्मीदों और खुशियों को ही..
अपनी तिजारत बना ली उन्होंने..
तुम्हारी सुकून वाली झील के पास..
मतलबों की इमारत बना ली उन्होंने..
अपने इरादों के औज़ार से ..
शहर का हर हिस्सा तोड़ दिया..
चल दिये किसी दूसरे शहर
और तुम्हे अपने ही शहर में अकेला छोड़ दिया..
उस बंजर ज़मीन को..
फिर से खिलखिलाना ज़रूरी है..
तुम्हे तुम्हारे उस शहर से..
फिर से मिलाना ज़रूरी है…
ज़रूरी है क्योंकि..
इन समंदरों के किनारों सी जिन्दगियों में..
अपने कदमों के निशान क्या ढूँढना
जब एक पूरे शहर के मालिक हो तुम..
तो किसी और के शहर में मकान क्या ढूँढना..
अपनी हर बंजारी उम्मीद से कहो..
आराम से इस शहर में रहना..
और सुनो..
इस शहर की चाबी ..
कभी किसी और को मत देना..!!!
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on: Sep 6, 2020
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#भारत_को_लेबनान_बनने_से_बचाइए
कुछ दिन पहले लेबनान में महाविस्फोट हुआ और उसमें सैंकड़ों लोग मारे गये और हजारों घायल हो गये, एक लुटे पिटे देश के लिए यह भारी सदमा है
लेबनान बर्बाद हो रहा है और सचमुच मुझे इसका बहुत दु:ख भी है इसलिए लेबनान के बहाने भारत की वर्तमान परिस्थितियों का विश्लेषण करना भी समीचीन होगा।
भारत के अस्तित्व के लिए सीएए और एनआरसी आखिर इतनी जरूरी क्यों हैं, यह लेबनान के इतिहास से जाना जा सकता है
लेबनान इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि किसी मुल्क द्वारा अति उदारता में की गई चंद गलतियां किस तरह एक हंसते खिलते और विकसित सहिष्णु राष्ट्र को नष्ट कर देती है।
#1970_के_दशक में लेबनान को #स्वर्ग कहा जाता था और इसकी राजधानी बेरूत को #पूर्व_का_पेरिस कहा जाता था।
लेबनानी ईसाई दुनिया के सबसे पुराने ईसाइयों में से थे और लेबनान एक प्रगतिशील, सहिष्णु और बहु-सांस्कृतिक समाज था जैसे भारत आज है लेबनान में मध्य पूर्व एशिया के कुछ बेहतरीन विश्वविद्यालय थे, जहाँ पूरे अरब से बच्चे पढ़ने आते थे और फिर वे वहीं सेटल हो जाते थे, वहां की बैंकिंग दुनिया की सबसे अच्छी बैंकिंग प्रणालियों में से एक थी, तेल न होने के बावजूद, लेबनान की अर्थव्यवस्था बहुत सुदृढ़ थी।
लेबनानी समाज की प्रगति का अनुमान साठ के दशक की हिंदी फिल्म
#एन_इवनिंग_इन_पेरिस से लगाया जा सकता है, जिसकी लेबनान में भी शूटिंग की गयी थी।
अब लेबनान के बुरे दिन आरंभ होने लगे थे, लेबनान की इस्लामी आबादी लगातार बढ़ रही थी और मुसलमान ईसाईयों की तुलना में कहीं अधिक बच्चे पैदा कर रहे थे और उन बच्चों को उनकी शिक्षा की कमी के कारण धीरे-धीरे इस्लामिक कट्टरपंथी बनाया जा रहा था
सन् 1970 में जॉर्डन में अशांति और लड़ाई शुरू हो गई थी और लिबरल लेबनान ने फिलिस्तीनी मुस्लिम शरणार्थियों के लिए करुणा दिखाते हुए अपने दरवाजे खोल दिए फलस्वरूप
#सन्_1980 तक आते आते लेबनान ठीक उसी स्थिति में आ गया था जैसा कि आज #सीरिया है।
#जिहादी जिन्होंने दया और करुणा की भीख मांगते हुए शरणार्थी के रूप में लेबनान में प्रवेश किया था, उन्हीं ने देशी ईसाइयों की सफाई शुरू कर दी जिसके परिणाम स्वरूप लाखों निर्दोष ईसाई मारे गये, इन्हें कोई भी बचाने के लिए नहीं आया और जो लोग इस हिंसा में बच गये उन्होंने लेबनान छोड़कर अन्यत्र प्रवासी बनने में ही अपनी भलाई समझी, लाखों मौतों और अन्यत्र पलायन के परिणाम स्वरूप लेबनानी ईसाई आबादी, जो 1970 में 60% थी, 30 वर्षों में मात्र 37% तक कम हो गई।
आज लेबनान में मुस्लिम बहुसंख्यक हो गये हैं और उन्होंने मूल लेबनानी ईसाइयों के वापस लौटने के सारे दरवाजे कानूनन बंद कर दिये हैं।
लेबनान की यह दुःखद कहानी केवल
30 साल पुरानी है, भारत को लेबनानी इतिहास से सीखने की जरूरत है, #रोहिंग्या और #बांग्लादेश घुसपैठियों जैसे जिहादी मानसिकता वाले लोगों से भी सतर्क रहने की जरूरत है ऐसे जिहादी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ आज हमें एकजुट होने की जरूरत है
और #सीएए और #एनआरसी के खिलाफ अभियान से जुड़े दलों संस्थानों लोगों नेताओं अभिनेताओं और बिकाऊ मीडिया का बहिष्कार करने की जरूरत है
दिखावे का बहिस्कार नही सच का
#कही_देर_न_हो_जाये
यह अभी नहीं तो कभी नहीं वाली परिस्थिति है, आज नहीं जागे तो तीस-चालीस साल में हम भी लेबनान जैसे बर्बाद मुल्क बनने को तैयार रहें जब या तो हम अपने ही देश में मार दिए जाएंगे या धर्मांतरण करा दिए जाऐंगे या देश से बाहर कहीं भगा दिए जाएंगे या दोयम दर्जे के नागरिक बना दिए जाऐंगे
यह कोई डराने वाली कल्पना नहीं बल्कि साफ चेतावनी है जो लेबनान के इतिहास द्वारा पूरी दुनिया को दी जा रही है।
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on: Sep 6, 2020
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#वो_सच_जिसे_पढ़कर_आपकी
#आत्मा_कांप_उठेगी
#एक_सितम्बर_2004 को "#बेसलान" के एक स्कुल में, कुछ इस्लामी आतंकवादी अचानक घुस गए और घुसते ही पुरुषों का मार दिया, ताकि किसी तरह के प्रतिरोध की संभावना ना रहे ये जेहादी आतंकी आतंकवाद से भी ज़्यादा दरिंदगी दिखना चाहते थे स्कूल में 3 से 8 साल तक बच्चे थे. वो जेहादी उन सभी बच्चों को स्कूल के जिम हॉल में ले गये
इसके बाद बच्चों की चीखती आवाज़ें इनके ज़ुल्म के आगे दब कर रह गयी
बारी बारी से 3 से 8 साल की एक एक बच्ची के साथ कई कई आतंकवादियों ने बलात्कार किया इन हैवानों ने न सिर्फ बलात्कार किया बल्कि बच्चों के गुप्तांगों में अपने बंदूक और अन्य वस्तुओं को घुसेड़ा और दूसरे सारे बंधक बच्चों को ये सब देखने को मजबूर किया गया जितना बच्चों से खून निकलता ये हैवान उतनी ही ज़ोर जोर से कहकहे लगाते थे
हथियार के गुप्तांगों में डालने के वजह से, हथियार भी खून से सन गये थे इस सबसे भी उन जालिमो का जी नहीं भरा तो उन छोटे-छोटे बच्चों को बुरी तरह पीटा भी बहुत सारी बच्चियां ब्लीडिंग और दर्द की वजह से उसी समय मर गयी
जेहादियों ने मासूम बच्चों को खूब लहू लुहान किया और खूब ठहाके लगाए जैसे-जैसे समय बीता उनके ज़ुल्म और बढ़ते गये बच्चों के पानी मांगने पर पानी की जगह अपना पेशाब पीने पर मजबूर किया
आतंकवादियों ने बच्चों के सामने पानी के बर्तन को रख दिया और कहा जो इसको पीने आएगा उसको मैं गोली मार दूँगा इसके बाद बच्चों को मे अपनी मौत का ख़ौफ़ समा गया बच्चे डर कर चिल्ला भी नही पा रहे थे क्योकि ऐसा करने पर उनको मारा पीटा जाता अब तक स्कूल के बाहर भीड़ लग चुकी थी आतंकी अंदर से खड़े हो कर नगरवासियों पर कॉमेंट करते हुए अंडे फेंकते और हँसते थे बच्चों के उपर इनकी क्रूरता लगातार जारी रही
रात को जेहादियों ने इन्ही मजबूर मासूम बच्चों से कहा कि - वो नंगे, खून से सने और मरे हुए बलात्कार के शिकार बच्चों की लाशों को घसीटकर पीछे फेंक कर आयें इस बीच #रशियन_सैनिकों ने स्कूल को घेर लिया और पहले उनसे समझौते की कोशिशें की जिससे बच्चों को बचाया जा सके
आतंकियों ने साफ कर दिया था कि अगर गैस का इस्तेमाल हुआ या बिजली काटी गयी तो वो तुरंत बच्चों को मार देंगे
इस बीच रूस की सब से अच्छी फोर्स "#Alpha_and_Vympel" आ चुकी थी रूसी विशेष बलों ने विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हुए स्कूल पर हमला कर दिया इस हमले में टैंक, बंदूक, बम, राकेट्स सभी इस्तेमाल किये गए
स्पेशल फोर्स के कमांडोज ने अपनी जान पर खेल कर हमला किया लेकिन उस अभागे दिन सिर्फ़ रक्तपात के सिवा कुछ भी हासिल नही हो पाय
334 लोग मारे गये जिसमे से 186 छोटे-छोटे मासूम बच्चे थे
247 बच्चे जो गंभीर रूप से घायल थे उनको इलाज के लिए मास्को भेजा गया सुरक्षा बल के सैनिक भी मारे गये थे
बच्चों की लाशें और उनकी दुर्दशा को देख कर उनके माँ बाप के चीख पुकार और रोने की आवाज़ से पूरा इलाक़ा दहल उठा
जो बच्चे स्कूल से निकल रहे थे सब खून से सने हुए थे लाशों के ढेर लगे थे
ऐसा घिनौना काम तो शैतान भी नही कर सकते हैं
#भारत के इतिहास में भी ऐसी क्रूरता की कहानिया हैवानों से ही जुडी हुई है.
#गुरु_गोविन्द_सिंह के बच्चों को ज़िंदा दीवार में चुनवाना
#मोतीराम_मेहरा के बच्चों को कोल्हू में पेरना
#बन्दा_बहादुर के बेटे को बाप की आँखों के सामने काटकर बेटे का दिल निकाल कर बाप के मुह में जबरन ठूंसना
इस्लाम कबूल न करने वाले माँ-बाप के बच्चों को काटकर उनके अंगों की माला बनाकर माँ-बाप के गले में डालना
माँ की गोद से बच्चे को छीनकर बच्चे को उछालकर बल्लम की नोक पर लेना तो भारत ने भी देखा है
आपको एक बार गूगल पर जाकर "#beslan_school_hostage_crisisलिखकर सर्च करना चाहिए उस घटना का विवरण और चित्र देखकर समझ आ जाएगा कि ये जेहादी आतंकी की नीचता की किस हद तक जा सकते हैं
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on: Aug 23, 2020
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मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,
तेरे ही मंदिर में,
तेरी ही मस्जिद में,
तेरे ही बंदे,
तेरे ही सामने रोते हैं,
तुझे नहीं, किसी और को पाने के लिए…!
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on: Aug 23, 2020
ratings: 5
Santa samundar me dahi daal raha tha..
Banta : kya kar raha hai?
Santa : Lassi bana raha hun
Banta : Yeh kya Pagalpan hai??
Teri aisi harkaton se hi log hum pe joke banate hai..
ab bata..
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Itni Saari Lassi kon piyega? 😛
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score: 9.43918
average: 10.0
on: Aug 20, 2020
ratings: 4
Nahi basti kisi aur ki surat
Ab in aankhon me ..!!
kaash ki hamne tujhe
itne gaur se na dekha hota..!!!!
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on: Jul 24, 2020
ratings: 22
.
💚 आज तक का सबसे सुदंर मैसेज 💚
🧡 ये पढने के बाद एक "आह" और एक "वाह" जरुर निकलेगी 🧡
कृष्ण और राधा स्वर्ग में विचरण करते हुए अचानक एक दुसरे के सामने आ गए
विचलित से कृष्ण-
प्रसन्नचित सी राधा...
कृष्ण सकपकाए,
राधा मुस्काई
इससे पहले कृष्ण कुछ कहते राधा बोल💬 उठी-
"कैसे हो द्वारकाधीश ??"
जो राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह के बुलाती थी
उसके मुख से द्वारकाधीश का संबोधन कृष्ण को भीतर तक घायल कर गया
फिर भी किसी तरह अपने आप को संभाल लिया
और बोले राधा से ...
"मै तो तुम्हारे लिए आज भी कान्हा हूँ
तुम तो द्वारकाधीश मत कहो!
आओ बैठते है ....
कुछ मै अपनी कहता हूँ
कुछ तुम अपनी कहो
सच कहूँ राधा
जब जब भी तुम्हारी याद आती थी
इन आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल आती थी..."
बोली राधा -
"मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ
ना तुम्हारी याद आई ना कोई आंसू बहा
क्यूंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे जो तुम याद आते
इन आँखों में सदा तुम रहते थे
कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ
इसलिए रोते भी नहीं थे
प्रेम के अलग होने पर तुमने क्या खोया
इसका इक आइना दिखाऊं आपको ?
कुछ कडवे सच , प्रश्न सुन पाओ तो सुनाऊ?
कभी सोचा इस तरक्की में तुम कितने पिछड़ गए
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू की और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच गए ?
एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर भरोसा कर लिया
और
दसों उँगलियों पर चलने वाली
बांसुरी को भूल गए ?
कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो ....
जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी ?
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी
कान्हा और द्वारकाधीश में
क्या फर्क होता है बताऊँ ?
कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते
सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता
युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है
*युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं*
*और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं*
कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता
आप तो कई कलाओं के स्वामी हो
स्वप्न दूर द्रष्टा हो
गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो
पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर लिया ?
सेना तो आपकी प्रजा थी
राजा तो पालाक होता है
उसका रक्षक होता है
आप जैसा महा ज्ञानी
उस रथ को चला रहा था जिस पर बैठा अर्जुन
आपकी प्रजा को ही मार रहा था
अपनी प्रजा को मरते देख
आपमें करूणा नहीं जगी ?
क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे
आज भी धरती पर जाकर देखो
अपनी द्वारकाधीश वाली छवि को
ढूंढते रह जाओगे
हर घर हर मंदिर में
मेरे साथ ही खड़े नजर आओगे
आज भी मै मानती हूँ
लोग गीता के ज्ञान की बात करते हैं
उनके महत्व की बात करते है
*मगर धरती के लोग*
*युद्ध वाले द्वारकाधीश पर नहीं, i* .
*प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते हैं*
*गीता में मेरा दूर दूर तक नाम भी नहीं है* ,
*पर आज भी लोग उसके समापन पर " राधे राधे " करते है".*
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on: Jun 26, 2020
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Woh pehle din chat ki baat thi yaar...
Tumhara yadoon ka ehssas aur har ek pal ka intezaar
Pehli baar dil mein bechaine aur tumhe apna banana ko dil bekarrar
Ankhon mein tumhara talash aur mann mein umang aur tumhara pyar
Haan ab haar saas tumhe kehta hai baar baar
Haan ji mujhe ho gaya hai tumse pyar!!!!!
Haan janta hoon
Mushikile zindagi mein ati hai
Par haste gate gujar bhi tho jati hai
Rishte nate bhi maan jati hai
Mushkile bhi apni nend so jati hai
Agar tum mushkiloon se ladna jaan lete
Agar mujhe apna zindagi har kadam mein maan lete
Tho mushkile kabhi mushkile nahi rehthi
Aur hum sath sath rahte
Ab bus ek kadam aghe tho bada lo
Apna hath mera haton mein de do
Apne bahe mere baho mein bhar lo
Aur ab etna roo lo
Ki apne sare gham bhula do
Aur kal ka naya savera jab ho
Tumhara kushiyoon ki savera ho
Aur hum tum phir sath sath ho
Janta hoon ki tum mere liye ek sapna ho
Kya farak padta hai ki sapna bhi kabhi pura na hota ho
Bush kush ho ki tum mera sath tho ho
Kuch pal hi sahi
Jo pal tumhara sath hoon
Lagta hai duniya jeet liya hoon
Aur jab tum sath na rehti hoon
Lagta hai jaise sanse tham se gayi ho
Sochte sochte nikal jata hai woh pal
Bus es intezaar mein ki hogi kab kal
Ki phir ayega woh duniya jeet liya wala pal
Tumhe chune ki aas rakhta hoon
Tumhe bahoon mein bhar lena chahta hoon
Kareb tumhara kano mein
Mere yeh labs kehna chahta hai
Ki tum na mita paoogi-mere sasose tumhara naam
Woh khubsurat pal mere jeevan ki-mujhe diya hai jeene ka armaan
Kyon darti hoon duniya se
Apne rishtedaroon se
Mein woh nahi ki jo tumhe phir aasoon doon
Kyon ki mein tumhara aasoon ki kimat janta hoon
Ab bus tumhse pyar karne ki aas rakta hoon
Par kasam hai mere pyar ki jasbatoon ka
Ki hamesha maar mite hai tumhare hotoon ki ek muskano pe
Khud apni zindagi barbad kar lenge
Par tumhe kabhi anch na hone denge
Yeh riste bhi ajjeb cheez hote hai
Dil aur dimag ko andha kar dete hai
Jeene ka armaan jagate hai
Kushiyoon ka mahal banate hai
Par afsos yeh ristoon se bhi badkar kuch riste hote hai
Jo zidnagi mein apna naam de chuke hote hai
Aur ji yeh bandan atoot hote hai
Jise nibhana har ek ka majboori hai
Aur isi mein sabhi ki bhalai hai
Par es bhalai ke liye jasbatee dabaye jate hai
Chahat mar mit jati hai
Pyar tho mano kadipata ho ek rasile sabhji ka – jab ras mil jaye tho phekh diya jata hai
Yaha armaan kuchal diya jata hai
Kushyon ka mahal bikhar jata hai
Ab sochta hoon
Ki agar dil aur dimag mein patiya nahi padi hoti apne riste mein
Aaj humsafor tho nahi par hum dost tho keh hi liya jate the !!! hai na?
Ab dil aur dimag brashat ho chukka hai
Kamzoor ho chukka hoon – tere pyar ki chahat mein
Ab dosti mere bus ki baat nahi
Aur pyar tum mujhse karti nahi
Zindage ne mujhe kabhi kuch bhi tho nahi diya
Jisne jo manga mein ne use saab kuch diya par mujhe tanha chod diya
Ek tumhara chahat hi tho tha jisne mere zindagi ke diye ko chirag diya
Par-chaht huwa bhi tho kisse
Jo khud kissi ki chahat hai ardangni hai
Hassi ata hai mujhe apne appse
Jab apni kismat ki lehroon ko dekhta hoon
Par yehi zindagi hai
Aur pyar kya kissi ka pura hota hai – uska pehla akshar hi adura hai
Is khayal se ki tumse baat na karneka
Lagta hai ki mera kal kaisa bitega
Par waqt yuhi chala jayega
Phir sab pehle jaise ho jayega
Tum tab mera kamjori nahi
Mera hosla tho ban jaoege hi na!!!
Par tumhe na kabhi bhul payenge
Kyon ki kuch sapne aise hote hai
Jo zindagi ke yaadgar lamhe hote hai
Jo mit tho kabhi na jate hai
Aur jab mit jate hai
Tho saase band ho jate hai ...
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on: Jun 18, 2020
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तनाव के उन क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं..
वो लोग जिनके पास सब कुछ है
शान ... शौकत ... रुतबा ... पैसा .. इज्जत
इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता ..
तो फिर क्या कमी रह जाती है ???
कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर
एक अदद दोस्त की
कमी होती है उस मुकाम पर
एक अदद राजदार की
एक ऐसे दोस्त की जिसके साथ "चांदी के कपों" में नहीं
किसी छोटी सी चाय के दुकान पर बैठ
सकते ..
जो उन्हें बेतुकी बातों से जोकर बन कर हंसा पाता ...
वह जिससे अपनी दिल की बात कह हल्के हो सके..
वह जिसको देखकर
अपना स्ट्रेस भूल सके
वह दोस्त
वह यार
वह राजदार
वह हमप्याला
उनके पास नहीं होता
जो कह सके तू सब छोड़ ... चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ...
और आखिर में
यही मायने कर जाता है...
सारी दुनिया की धन दौलत
एकतरफ...सारा तनाव एक तरफ ..
वह दोस्त वह एक तरफ !!!
लेकिन अगर आपके पास
वह दोस्त है
वह यार है
तो कीमत समझिये उसकी...
चले जाइए एक शाम उसके साथ
चाय पर ...
जिंदगी बहुत हसीन बन जाएगी......
याद रखिए आपके तनाव से यदि कोई लड़ सकता है तो वो है आपका दोस्त और उसके साथ की एक कप गर्म चाय !!!
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on: Jun 13, 2020
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सड़क पर जा रहे हो और अचानक सामने से कोई लड़की आती दिख जाए टाइट कपड़ों में तो उसके पूरे बदन का X- रे करने में देर नहीं लगती.
स्कूल कॉलेज में सीढ़ियों के नीचे खड़े होकर उतरती हुयी लड़कियों के स्कर्ट के भीतर ताकना, बस ट्रेन में किसी लड़की का अगर कोई अंग दिख जाए तो बगल वाले को कोहनी मार कर दिखाना .
डिस्को, पब में छोटे कपडे पहनी हुयी लड़की के वक्ष स्थल को घुरना और ऐसा दिखाना की कहीं और ध्यान है.
कहीं कुछ उठाते हुए किसी लड़की की कमर या पैंटी लाइन दिख जाने पर आहे भरना.
क्लीवेज से लेकर कमर,चेहरा,पीठ या पेट और गर्दन कुछ भी नज़र आ जाये या अगर नज़र ना भी आ रहा हो तो भी चीर देने वाली नज़रों से देखने की कोशिश करना.
ये सब तरीके है बिना कुछ बोले, बिना कुछ किये किसी भी लड़की को परेशान करने के और इन सब में सबसे बड़ी बात की आसानी से जवाब देकर निकल जाओ कि मेरा ध्यान कहीं और था या फिर दिख रहा था तो देख लिया कौनसा रेप कर दिया.
ये सब कारनामे सिर्फ सड़कछाप मजनुओं के नहीं बल्कि अधिकतम मर्दों के है. चाहे वो कितने भी प्रतिष्ठित घर का हो या कितने बड़े स्कूल कॉलेज का विद्यार्थी या फिर किसी बड़ी कंपनी में काम करने वाला या रास्ते पर सब्जी बेचने वाला. सब माहिर होते है आँखे सेकने की विद्या में.
कभी सोचा है की कितनी बेशर्मी से घूरते है हम लोग लड़कियों को ?
कभी सोचा है कि कितना घटिया होता है ये सब ?
क्या कभी सोचा है कि ये भी एक तरह की कुंठा है ?
कभी सोचा है कि इस तरह की हरकतें बताती है कि अन्दर से हम भी एक बलात्कारी है.
ज़रा खुद को रखकर देखिये उस लड़की की जगह जिसे हम घूरते है, जिसके बदन की एक झलक पाने को हम बेशर्मी की हदें पार करते है.
विशेष नोट - पोस्ट से आपत्ति वाले लोग कमेंट में हमें ज्ञान देने का कष्ट ना करें
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on: May 31, 2020
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Kabhi tere liye kuch likha nahi
Kyon ki tum har pal mere sath rahi
Aaj phir tumhari yaad aur asoon ayi
Kyon ki aaj tum mere sath nahi
Kash mein tumhe pehle keh deta 😢😢😢😢😢
Haan ek pal mere jindagi me aya tha
Jab maine apne apko tanha mehsoos paya
Wajah meri jindagi – mayusi
Maan pe na koi kaboo aur dil kitna bechain
Jene ka koi asra nahi
Aur na apni koi pehchan
Haan ek pal mere jindagi meri phir aya
Jab maine apne apko khush mehsoos paya
Wajah meri Zindagi – Tum
Aaj phir maan pe na koi kaboo
Aur Dil aaj phir kitna bechain
Par aaj jene ka asra hai aur ek pehchan bhi–Tum
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on: May 31, 2020
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Inssan akir hai kya
Chahat ke pyasa
Jaise koi bacha
Ki chahat hai koi khilona
Jid pe utar ata hai
Pa leta hai
Kuch pal khel leta hai
Kush reh leta hai woh pal
Jab toot jata hai
Tho phir naye khilone ki chahat
Bana leta hai
Phir bacha bada ho jata hai
Ab khilona nahi
Dil ko chahat bana leta hai
Jid pe utar ata hai
Pa leta hai
Kuch pal Khel leta hai
Kush reh leta hai woh pal
Par jab oob jata hai
Jabardasti dil tod deta hai
Ab phir akela mehsoos pata hai
Tho phir naya dil ko chahat bana leta hai
Par woh yeh nahi jante khilona tootne pe phir naya khilona mil sakta hai
Par jab dil toota hai tho sase ruk jati, jindagi tham jati hai 😢😢😢😢😢
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on: May 24, 2020
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स्त्री ,
एक क़िताब की तरह होती है
जिसे देखते हैं सब ,
अपनी-अपनी ज़रुरतों के
हिसाब से
कोई सोचता है ,उसे
एक घटिया और सस्ते
उपन्यास की तरह!
तो कोई घूरता है ,
उत्सुक-सा ,
एक हसीन रंगीन ,
चित्रकथा समझकर
कुछ पलटते हैं ,इसके रंगीन पन्ने ,
अपना खाली वक़्त ,
गुज़ारने के लिए!
तो कुछ रख देते हैं ,
घर की लाइब्रेरी में
सजाकर ,
किसी बड़े लेखक की कृति की तरह ,
स्टेटस सिम्बल बनाकर
कुछ ऐसे भी है ,
जो इसे रद्दी समझकर ,
पटक देते हैं!
घर के किसी कोने में
तो कुछ बहुत उदार होकर
पूजते हैं मन्दिर में ,
किसी आले में रखकर
गीता क़ुरआन बाइबिल जैसे ,
किसी पवित्र ग्रन्थ की तरह
स्त्री एक क़िताब की
तरह होती है ,जिसे ,
पृष्ठ दर पृष्ठ कभी
कोई पढ़ता नही ,
समझता नही ,
आवरण से लेकर
अंतिम पृष्ठ तक
सिर्फ़ देखता है ,
टटोलता है
और वो रह जाती है
अनबांची
अनअभिव्यक्त
अभिशप्त सी
ब्याहता होकर भी
कुआंरी सी...
विस्तृत होकर भी
सिमटी सी...
छुए तन मे
एक
अनछुआ मन लिए!
सदा ही
स्त्री
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on: May 3, 2020
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
जागने पर भी नहीं आंख से गिरतीं किर्चें
इस तरह ख़्वाबों से आंखें नहीं फोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते
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on: Apr 27, 2020
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सन्नाटे की
सनसनाहट
सनसनी लिए है आज की रात
सूनी है गलियां
सूनी है आवाज़
कयामत का एहसास देती है
आज की रात
पहले भी थीं रातें
जेट की घनघनाहट लिए
पहले भी थी रातें
बारूद के धमाकों से
थर्राती वे रातें
घुप्प अंधेरों में
गोलों की रोशनी से
नहाई वे रातें
डराती तो थीं
वे रातें
लेकिन इतनी भयावह तो
न थी कभी वे रातें
सन्नाटे में
कयामत का अहसास
तो न देती थीं
वे रातें
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on: Apr 24, 2020
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देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..
सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है
दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं और
तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.
ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है,
और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,
हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है,
"रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.
‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है,
अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,
जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है,
और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है,
खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है,
फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है,
और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,
पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.
एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है,
बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,
एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,
और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,
ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,
लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है,
दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,
पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं,
"काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,
अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,
हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,
हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई और पापा बाजार दौडे चले जाते है,
पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..
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