“किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते !” “ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या खूबी है उसमें, वो मुझे याद नहीं करती, मैं उसको भूल नहीं पाता” “ऐ ‘ख़ुदा’ तू कभी इश्क न करना.. बेमौत मरा जायेगा ! हम तो मर के भी तेरे पास आते है पर तू कहा जायेगा” |
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