मेरे मुकामों की हसरत छोड़ मेरा सफ़र बहुत छोटा है,
तुझ से ही शुरू होता है तुझ पे ही ख़त्म होता है, मेरे इश्क़ की इन्तेहाँ छोड़ मेरा सफ़र बहुत लम्बा है तेरी खुशियों से शुरू होता है तेरी खुशियों पे ख़त्म होता है, मेरे दिल में क्या छुपा है उसे छोड़ तेरी क्या रजा है इश्क़ की सिर्फ उसे बोल मेरा ये खुशियों का जहान तुझसे शुरू होता है तुझ पे ख़त्म होता है। |
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.तेरी खुशियों से शुरू होता है तेरी खुशियों पे ख़त्म होता है, तुझसे शुरू होता है तुझ पे ख़त्म होता है।