अब नहीं बेचारी नारी,
प्रीत से भरी नारी, ममता की सूरत है नारी। कौन कहता है की अबला है नारी, हर क्षेत्र में अव्वल पुरुष के साथ पग-पग, कंधा मिलाए है नारी। समुद्र से आकाश, थल से पहाड़ तक, अपना संघर्ष दिखाया है, अपने परिश्रम से, ददेश को हर बार ऊपर उठाया है, सलोनी के कलम से सारी नारियों को प्रणाम। 🌹🌹🌹 🌺🌺🌺 |
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