कविता हमे रच रही है
ज़िन्दगी के रंगों के साथ सज रही हैं कभी बचपन कभी जवानी कभी बुढ़ापा हर पल सीख दीखलाई जा रही है और हर वक़्त सीखाई जा रही है यह जीवन की कहानी है तन्हाइयों से भरी हुई है मेरी कलम की स्याही कुछ अनकही दर्द की वाते कह रही है कभी खुशी के अक्षू निकल रहे है जैसे पहले कविता को सजा रहे है हर शब्द रच रहे है यूं ही शब्दों के साथ खेलते जा रहे है कविता हमे रच रही है यह सच है मन को जांच रही है सलोनी |
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