मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं.......✍
मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं, उदासियों में रखा है क्या, आओ थोड़ी खुशियाँ बांटते हैं,, वर्षों पुराने ज़ख्मों को, खुशियों से मात देते हैं, बस तारीफें दुनिया से ले के, हर तानों को ठुकराते हैं, मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं, कल की उम्मीद पलकों में लिए, इस सोच से आगे बढ़ते हैं, लेते हैं थोड़ा उनसे हौसला, जो नित्य पहाड़ चढ़ते हैं, कुछ हौसला समंदर से भी, जो पर्वत को भी घिसते हैं, कुछ हौसलें नदियों से भी, जो झरनों में से रिसते हैं, ले कर सब उधर आज सब से, कदम हम आगे बढ़ाते हैं, अपनी हँसी के बीच में अपने, हालात को आज छुपाते हैं, मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं, कोई छीन नहीं सकता मुझसे मेरा, जो मेरा नहीं वो खो के रहेगा, गीता में भी साफ़ लिखा है, जो होना है वो हो के रहेगा, फिर क्यों कल की चिंता में, आज को अपने खो देना, जिन पलकों ने ख्वाब देखे इतने, क्यों इनको है भिगो देना, आओ सब कुछ को भुला के फिर से, खुद को थोड़ा आज़माते हैं, मुश्किलों को हराते है, चलो मुस्कुराते हैं... |
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